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Monday, 18 April 2016
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Saturday, 16 April 2016
Friday, 15 April 2016
Badrinath tour, Badrinath yatra, Badrinath tour packages
Badrinath known as Vishal Badri, this temple situated at the height of 3,133 mts. is the largest Himalayas and most popular of Vishnu pilgrimages among the five Badries. The original temple here is believed to be built by King Pururava and the icon of the lord carved by Vishwakarma, the creator of the gods. The idol was recovered by Adi Shankaracharya from the waters of the nearby Naradkund and consecrated once more in the temple, restored in the 19th century by the royal houses of Scindia & Holker. So holy in these shrines that it forms one of the four prominent places of Hindu worship. The epic Mahabharata, it is believed, was composed in the Vyas and Ganesh caves close by. The Vishnu Ganga which later becomes Alaknanda flows below the while Neelkanth keeps vigil over all devotees.
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Wednesday, 13 April 2016
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Tuesday, 12 April 2016
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Saturday, 9 April 2016
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Friday, 8 April 2016
Thursday, 7 April 2016
Uttarakhand chardham tour
इस नवरात्री पर आपके लिए नौ उपहार
(1) सुख
(2) शान्ति
(3) समृद्धि
(4) संस्कार
(5) सफलता
(6) संयम
(7) सरलता
(8) स्वास्थ्य
(9) संकल्प
माँ दुर्गा आप सभी को निरोग और स्वास्थ्य प्रदान करे आप सभी खुश रहे
शुभ नवरात्रि
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Tuesday, 5 April 2016
Kedarnath Yatra | Kedarnath Yatra Packages | Kedarnath Tour Packages
केदारनाथ मंदिर व उसकी कथा के बारे में।
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उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। मंदिर का गर्भगृह वाला भाग पांडवों द्वारा बनाया गया था । मन्दिर का निर्माण किसने कराया, इसका कोई प्रामाणिक उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन हाँ ऐसा भी कहा जाता है कि इसकी स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी जो की स्थानीय लोगों द्वारा कहानियों में भी सुना गया है। बाहर प्रांगण में नन्दी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं।
कथा-
• इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना का इतिहास संक्षेप में यह है कि हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हुए और उनके प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया। यह स्थल केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नामक श्रृंग पर अवस्थित हैं।
• पंचकेदार की कथा ऐसी मानी जाती है कि महाभारत के युद्ध में विजयी होने पर पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। इसके लिए वे भगवान शंकर का आशीर्वाद पाना चाहते थे, लेकिन वे उन लोगों से रुष्ट थे। भगवान शंकर के दर्शन के लिए पांडव काशी गए, पर वे उन्हें वहां नहीं मिले। वे लोग उन्हें खोजते हुए हिमालय तक आ पहुंचे। भगवान शंकर पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे, इसलिए वे वहां से अंतध्र्यान हो कर केदार में जा बसे। दूसरी ओर, पांडव भी लगन के पक्के थे, वे उनका पीछा करते-करते केदार पहुंच ही गए। भगवान शंकर ने तब तक बैल का रूप धारण कर लिया और वे अन्य पशुओं में जा मिले। पांडवों को संदेह हो गया था। अत: भीम ने अपना विशाल रूप धारण कर दो पहाडों पर पैर फैला दिया। अन्य सब गाय-बैल तो निकल गए, पर शंकर जी रूपी बैल पैर के नीचे से जाने को तैयार नहीं हुए। भीम बलपूर्वक इस बैल पर झपटे, लेकिन बैल भूमि में अंतध्र्यान होने लगा। तब भीम ने बैल की त्रिकोणात्मक पीठ का भाग पकड़ लिया। भगवान शंकर पांडवों की भक्ति, दृढ संकल्प देख कर प्रसन्न हो गए। उन्होंने तत्काल दर्शन देकर पांडवों को पाप मुक्त कर दिया। उसी समय से भगवान शंकर बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में श्री केदारनाथ में पूजे जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शंकर बैल के रूप में अंतर्ध्यान हुए, तो उनके धड़ से ऊपर का भाग काठमाण्डू में प्रकट हुआ। अब वहां पशुपतिनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। शिव की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मदमदेश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुए। इसलिए इन चार स्थानों सहित श्री केदारनाथ को पंचकेदार कहा जाता है। यहां शिवजी के भव्य मंदिर बने हुए हैं।
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Monday, 4 April 2016
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Sunday, 3 April 2016
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