Thursday, 31 March 2016

Uttarakhand chardham yatra

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Tuesday, 29 March 2016

Uttarakhand chardham tour

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Valley of flower

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Monday, 28 March 2016

Uttarakhand chardham yatra

सुबह का समय हर प्राणी के लिए मह्त्बपूर्ण होता है जब हर कोई आराम करने के बाद अपनी रोजमर्रा की जिंदगी की शुरुआत करता है। सुबह की इस बेला में आइये हम सब प्रभु का स्मरण करें।
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Uttarakhand chardham

अपने मिशन में कामयाब होने के लिए , आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त निष्ठावान होना पड़ेगा.
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Sunday, 27 March 2016

Uttarakhand chardham

Uttarakhand Chardham kapat realeasing Date :
Yamunotri Temple – The Kapat of Shri Yamunotri Temple will open on 9 May 2016.
Gangotri Temple – The Kapat of Shri Gangotri Temple will open on 9 May 2016.
Kedarnath Temple – The Kapat of Shri Kedarnath Temple will open on 10 May April 2016.
Badrinath Temple – The Kapat of Shri Badrinath Temple will open on 11 May 2016.      www.uttarakhandchardham.com

Sunday, 13 March 2016

उत्तराखंड चारधाम – चारधाम उत्तराखंड – उत्तराखंड चारधाम यात्रा – देवभूमि उत्तराखंड

चारधाम यात्रा उत्तराखण्ड राज्य में स्थित बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ की यात्रा को कहते है। यह एक  धार्मिक यात्रा है. पर्त्येक साल लाखो  की संख्या मै शर्दालू दर्शन करने आते है. बद्रीनाथ धाम चमोली जिले मै, केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग जिले मै, और गंगोत्री धाम और यमुनोत्री धाम उत्तरकाशी जिले मै इश्तिथ है.
बद्रीनाथ धाम हिमालय में स्थित पवित्र स्थानों में से एक है। यह उत्तराखंड के बद्रीनाथ में समुद्र तल से 3133 मीटर की उंचाई पर स्थित है। बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और माना जाता है कि उन्होंने इस पवित्र स्थान में तपस्या की थी। भगवान बद्री नारायण ने एक हाथ में शंख और दूसरे हाथ में चक्र पकड़ रखा है। दोनों हाथ उनकी गोद में योगमुद्रा में हैं। इस तीर्थस्थल का दौरा करने का सबसे अच्छा समय मानसून छोड़कर मई से अक्टूबर तक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को खुले में तपस्या करते देखा तो उन्हें विपरीत मौसम से बचाने के लिए बद्री वृृक्ष का रुप धर लिया। इसलिए मंदिर का नाम बद्री नारायण पड़ा। मंदिर के वर्तमान स्वरुप का निर्माण गढ़वाल के राजाओं ने कराया था।
उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम[क] और पंच केदार[ख] में से भी एक है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्‍य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्‍थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।
गंगोत्री गंगा नदी का उद्गम स्थान है। गंगाजी का मंदिर, समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। भागीरथी के दाहिने ओर का परिवेश अत्यंत आकर्षक एवं मनोहारी है। यह स्थान उत्तरकाशी से 100 किमी की दूरी पर स्थित है। गंगा मैया के मंदिर का निर्माण गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा द्वारा 18 वी शताब्दी के शुरूआत में किया गया था वर्तमान मंदिर का पुननिर्माण जयपुर के राजघराने द्वारा किया गया था।
चार धामों में से एक धाम यमुनोत्री से यमुना का उद्गम मात्र एक किमी की दूरी पर है। यहां बंदरपूंछ चोटी (6315 मी) के पश्चिमी अंत में फैले यमुनोत्री ग्लेशियर को देखना अत्यंत रोमांचक है। गढ़वाल हिमालय की पश्चिम दिशा में उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव है। यमुना पावन नदी का स्रोत कालिंदी पर्वत है। तीर्थ स्थल से एक कि. मी. दूर यह स्थल 4421 मी. ऊँचाई पर स्थित है। दुर्गम चढ़ाई होने के कारण श्रद्धालू इस उद्गम स्थल को देखने से वंचित रह जाते हैं। यमुनोत्री का मुख्य मंदिर यमुना देवी को समर्पित है। पानी के मुख्य स्रोतों में से एक सूर्यकुण्ड है जो गरम पानी का स्रोत है।
·         बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री को हिंदू धर्म में सर्वाधिक पवित्र तीर्थ स्थल कहा गया है।
·         इन सभी तीर्थस्थलों के हिमालय पर्वत श्रेणी की गोद में होने से इनका महत्व धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भी बहुत ज्यादा बढ़ जाता हैं।
·         चार धाम के दर्शन एक ही यात्रा में करने पर धार्मिक आधार पर पहले यमुनोत्री फिर गंगोत्री उसके बाद केदारनाथ और आखिर में बद्रीनाथ जाया जाता है।
·         कहते है कि यहां यात्रा न सिर्फ पाप मुक्त करती है बल्कि जन्म और मृत्यु के चक्र से परे ले जाती है।
·         गढ़वाल हिमालय की पश्चिम दिशा में उत्तरकाशी ज़िले में स्थित यमुनोत्री चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव है।

Friday, 4 March 2016

Nanda Devi - Nanda Rajjat yatra - Uttarakhand Chardham tour



नंदा देवी समूचे गढ़वाल मंडल और कुमाऊं मंडल और हिमालय के अन्य भागों में जन सामान्य की लोकप्रिय देवी हैं। नंदा की उपासना प्राचीन काल से ही किये जाने के प्रमाण धार्मिक ग्रंथों, उपनिषद और पुराणों में मिलते हैं। रुप मंडन में पार्वती को गौरी के छ: रुपों में एक बताया गया है। भगवती की ६ अंगभूता देवियों में नंदा भी एक है। नंदा को नवदुर्गाओं में से भी एक बताया गया है। भविष्य पुराण में जिन दुर्गाओं का उल्लेख है उनमें महालक्ष्मी, नंदा, क्षेमकरी, शिवदूती, महाटूँडा, भ्रामरी, चंद्रमंडला, रेवती और हरसिद्धी हैं। शिवपुराण में वर्णित नंदा तीर्थ वास्तव में कूर्माचल ही है। शक्ति के रुप में नंदा ही सारे हिमालय में पूजित हैं।
नंदा के इस शक्ति रुप की पूजा गढ़वाल में करुली, कसोली, नरोना, हिंडोली, तल्ली दसोली, सिमली, तल्ली धूरी, नौटी, चांदपुर, गैड़लोहवा आदि स्थानों में होती है। गढ़वाल में राज जात यात्रा का आयोजन भी नंदा के सम्मान में होता है।

Triyugi Narayan Temple - Triyugi Narayan Yatra - Uttarakhand Tour

Triyugi Narayan temple / village is situated near Gauri Kund about 15 km by motorable road at a height of 1980 meters ( 6500 ft.). Architect of this temple resembles the Sri Kedarnath temple, built by Adi Shankarachrya, dedicated to Lord Vishnu, having a silver image two foot tall accompanied by Ma Lakshmi and Ma Saraswati.
This temple is witness to the celestial marriage of Lord Shiva and Ma Parvati. Lord Vishnu completed all the formalities of as a brother and Lord Brhama creator of world as a priest in the presence of “Rishis” sages of that time , the place is marked by a stone called Brhama Shila...

Uttarakhand Chardham Tour | Chardham Tour Packages | Uttarakhand Chardham Tour Packages

Chardham Yatra in Uttarkhand has been usually known as one of the holiest journey for Hindus. A trip to Uttarakhand Char Dham is believed to wash away all sins and sanitize the soul which is why lakhs of people from India and even abroad travel to Uttarkhand from travelling to the Char Dhams. However even holy spaces are from time to time not spared from the fury of natural world. There was a disaster back in 2013 which resulted in irresistible loss of life and limb in Uttarakhand. Since then there has been a lot of speculation in the country about the safety and the ability of the infrastructure of Uttarkhand to withstand the pressure of tourist flow for holy Uttarakhand Chardham Yatra. However the good news is that Uttarkhand has redeveloped and strengthen its services in the following ways. The honor confer on these places is not amazing. For one, they are all in the icy Garhwal ranges and look upon as the the majority sacred of all Himalayan ranges. It is also said that paradise and earth meet in these holy spots, and to be usual or die here is a advantage only the very blessed have. The Chardham must be appointment from left to correct - start with Yamunotri, going on to Gangotri, Kedarnath and end the voyage at Badrinath. This route follows the Hindu custom of parikrama or clockwise circumambulation. Chardham yatra is a religious tour and thousands of devotees come to Uttarakhand chardham yatra each year from all parts of India and abroad. all dham has its own history and has significant values in the spirit of Hindus. You can book anytime a taxi in Dehradun, Haridwar and Rishikesh with us.