Sunday 13 March 2016

उत्तराखंड चारधाम – चारधाम उत्तराखंड – उत्तराखंड चारधाम यात्रा – देवभूमि उत्तराखंड

चारधाम यात्रा उत्तराखण्ड राज्य में स्थित बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ की यात्रा को कहते है। यह एक  धार्मिक यात्रा है. पर्त्येक साल लाखो  की संख्या मै शर्दालू दर्शन करने आते है. बद्रीनाथ धाम चमोली जिले मै, केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग जिले मै, और गंगोत्री धाम और यमुनोत्री धाम उत्तरकाशी जिले मै इश्तिथ है.
बद्रीनाथ धाम हिमालय में स्थित पवित्र स्थानों में से एक है। यह उत्तराखंड के बद्रीनाथ में समुद्र तल से 3133 मीटर की उंचाई पर स्थित है। बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और माना जाता है कि उन्होंने इस पवित्र स्थान में तपस्या की थी। भगवान बद्री नारायण ने एक हाथ में शंख और दूसरे हाथ में चक्र पकड़ रखा है। दोनों हाथ उनकी गोद में योगमुद्रा में हैं। इस तीर्थस्थल का दौरा करने का सबसे अच्छा समय मानसून छोड़कर मई से अक्टूबर तक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को खुले में तपस्या करते देखा तो उन्हें विपरीत मौसम से बचाने के लिए बद्री वृृक्ष का रुप धर लिया। इसलिए मंदिर का नाम बद्री नारायण पड़ा। मंदिर के वर्तमान स्वरुप का निर्माण गढ़वाल के राजाओं ने कराया था।
उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम[क] और पंच केदार[ख] में से भी एक है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्‍य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्‍थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।
गंगोत्री गंगा नदी का उद्गम स्थान है। गंगाजी का मंदिर, समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। भागीरथी के दाहिने ओर का परिवेश अत्यंत आकर्षक एवं मनोहारी है। यह स्थान उत्तरकाशी से 100 किमी की दूरी पर स्थित है। गंगा मैया के मंदिर का निर्माण गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा द्वारा 18 वी शताब्दी के शुरूआत में किया गया था वर्तमान मंदिर का पुननिर्माण जयपुर के राजघराने द्वारा किया गया था।
चार धामों में से एक धाम यमुनोत्री से यमुना का उद्गम मात्र एक किमी की दूरी पर है। यहां बंदरपूंछ चोटी (6315 मी) के पश्चिमी अंत में फैले यमुनोत्री ग्लेशियर को देखना अत्यंत रोमांचक है। गढ़वाल हिमालय की पश्चिम दिशा में उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव है। यमुना पावन नदी का स्रोत कालिंदी पर्वत है। तीर्थ स्थल से एक कि. मी. दूर यह स्थल 4421 मी. ऊँचाई पर स्थित है। दुर्गम चढ़ाई होने के कारण श्रद्धालू इस उद्गम स्थल को देखने से वंचित रह जाते हैं। यमुनोत्री का मुख्य मंदिर यमुना देवी को समर्पित है। पानी के मुख्य स्रोतों में से एक सूर्यकुण्ड है जो गरम पानी का स्रोत है।
·         बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री को हिंदू धर्म में सर्वाधिक पवित्र तीर्थ स्थल कहा गया है।
·         इन सभी तीर्थस्थलों के हिमालय पर्वत श्रेणी की गोद में होने से इनका महत्व धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भी बहुत ज्यादा बढ़ जाता हैं।
·         चार धाम के दर्शन एक ही यात्रा में करने पर धार्मिक आधार पर पहले यमुनोत्री फिर गंगोत्री उसके बाद केदारनाथ और आखिर में बद्रीनाथ जाया जाता है।
·         कहते है कि यहां यात्रा न सिर्फ पाप मुक्त करती है बल्कि जन्म और मृत्यु के चक्र से परे ले जाती है।
·         गढ़वाल हिमालय की पश्चिम दिशा में उत्तरकाशी ज़िले में स्थित यमुनोत्री चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव है।

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