Sunday 14 February 2016

उत्तराखंड चारधाम यात्रा | चारधाम उत्तराखंड | उत्तराखंड दर्शन


उत्तराखण्ड प्राचीन काल से ही ऋषिमुनियों और देव स्थलों का धाम है। हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार यमुनोत्री, गंगोत्री केदारनाथ और बद्रीनाथ हिंदुओं का सबसे प्राचीन व प्रसिद्ध धार्मिक स्थान हैं। चार धाम यात्रा हेतु उत्तराखण्ड अपने नामोंवृत विधाओं से विख्यात ही नहीं बल्कि इस भूमि में अनेक देवी-देवताओं, ऋषिमुनियों व राजाओं के पौराणिक गाथाओं से सम्पूर्ण प्रख्याति से भी जाना जाता है। चार धाम यात्रा के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं तत्पश्चात ऐसा प्रतीत होता है कि सम्पूर्ण घाटी-पर्वत, जल-वायु भक्तिमय हो गयी हो और मंत्रोच्चारन से सम्पूर्ण घाटी गूंज उठी हो।

चारधाम यात्रा मार्ग हेतु सर्वप्रथम हरिद्वार, ऋषिकेश देवप्रयाग/टिहरी, यमुनोत्री, उत्तरकाशी, गंगोत्री, त्रीयुगनरायन, गौरीकुण्ड, केदारनाथ, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, चमोली , गोपेश्वर, जोशिमठ, बद्रीनाथ आदि है। केदारनाथ जाने हेतु अन्य मार्ग हरिद्वार, ऋषिकेश, देवप्रयाग, श्रीनगर गढ़वाल, रुद्रप्रयाग, अगस्तमुनी, गुप्तकाशी और गौरीकुण्ड से होकर जाता है।

पौराणिक परम्परा व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह मार्ग चार-धाम यात्रा की परिक्रमानुसार है। मानसून के 2 महीने पहले तक पर्यटकों का जमावड़ा चारधामों में दिखाई देता है। बरसात के मौसम में यहाँ कुछ मुश्किलों का सामना भी यात्रियों को करना पड़ता है, जिनमें यात्रा मार्गों का भूस्खलन से ध्वस्त होना, घाटियों से होकर गुजरने वाले मार्गों पर जल प्रवाह की अधिक तेज गति से प्रवाह होना। यात्रा का शुभारंभ लगभग अप्रैल माह के अंतर्गत शुरू हो जाता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार चार-धाम यात्रा के दर्शन करने से जीवन-मरण व पाप से मुक्ति तथा आनंद की प्राप्ति होती है।

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