क्या आप जानते हैं ?
एक 20 मीटर ऊंची चट्टान के ऊपर स्थित , धारी देवी का मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे पर स्थित है. श्रीनगर - बद्रीनाथ राजमार्ग पर श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल) से 19 किलोमीटर की दूरी की यात्रा पर कालिया सव्ध नामक स्थान तक फिर अलकनंदा नदी की दिशा में एक किलोमीटर नीचे यह मंदिर स्थित है .एक स्थानीय कहानी अनुसार, मंदिर एक बार बाढ़ में बह गया था, तैरते हुई मूर्ति एक चट्टान पे रुक गई , ग्रामीणों ने मूर्ति को पुकारता हुआ सुना. स्थान पर पहुँचने पर उनहोंने एक दिव्य आवाज सुनी जिसने उन्हें निर्देश दिए की जिस स्थान पे मूर्ती है वहीँ पे उसे स्थापित किया जाए. तब से माता के भयंकर रूप की यह मूर्ति यहाँ स्थापित है , जिन्हें धारी देवी के रूप में जाना जाता है , खुले आकश के निचे यहाँ हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन हेतु आते हैं. बद्रीनाथ जाते हुए भक्त यहाँ माता के दर्शन करना नहीं भूलते. श्रीनगर में स्थित इस धारी देवी मंदिर में माता का केवल सर स्थापित है , बाकी शरीर रुद्रप्रयाग जिले के कालीमठ में माना जाता है
यह माना जाता है कि धारी देवी की मूर्ति को छत के नीचे नहीं रखा जाएगा. उसी कारण से, धारी देवी मंदिर में मूर्तियों खुले आसमान के नीचे स्थापित हैं. धारी देवी की मूर्तियों की तस्वीरें लेना सख्त वर्जित है.
मंदिर के पास का गांव देवी धारी के नाम पे है और धारी गांव के रूप में जाना जाता है. अलकनंदा नदी पर एक झूला पुल धारी गांव को धारी मंदिर से जोड़ता है.
ॐ जय माँ धारी.
कहानी पढ़ने के बाद एक इच्छा मांगे .. माँ धारी देवी आपकी इच्छा को पूरी करें .
शेयर कर के अन्य भक्तों को भी माँ धारी की कृपा से अवगत कराएँ
एक 20 मीटर ऊंची चट्टान के ऊपर स्थित , धारी देवी का मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे पर स्थित है. श्रीनगर - बद्रीनाथ राजमार्ग पर श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल) से 19 किलोमीटर की दूरी की यात्रा पर कालिया सव्ध नामक स्थान तक फिर अलकनंदा नदी की दिशा में एक किलोमीटर नीचे यह मंदिर स्थित है .एक स्थानीय कहानी अनुसार, मंदिर एक बार बाढ़ में बह गया था, तैरते हुई मूर्ति एक चट्टान पे रुक गई , ग्रामीणों ने मूर्ति को पुकारता हुआ सुना. स्थान पर पहुँचने पर उनहोंने एक दिव्य आवाज सुनी जिसने उन्हें निर्देश दिए की जिस स्थान पे मूर्ती है वहीँ पे उसे स्थापित किया जाए. तब से माता के भयंकर रूप की यह मूर्ति यहाँ स्थापित है , जिन्हें धारी देवी के रूप में जाना जाता है , खुले आकश के निचे यहाँ हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन हेतु आते हैं. बद्रीनाथ जाते हुए भक्त यहाँ माता के दर्शन करना नहीं भूलते. श्रीनगर में स्थित इस धारी देवी मंदिर में माता का केवल सर स्थापित है , बाकी शरीर रुद्रप्रयाग जिले के कालीमठ में माना जाता है
यह माना जाता है कि धारी देवी की मूर्ति को छत के नीचे नहीं रखा जाएगा. उसी कारण से, धारी देवी मंदिर में मूर्तियों खुले आसमान के नीचे स्थापित हैं. धारी देवी की मूर्तियों की तस्वीरें लेना सख्त वर्जित है.
मंदिर के पास का गांव देवी धारी के नाम पे है और धारी गांव के रूप में जाना जाता है. अलकनंदा नदी पर एक झूला पुल धारी गांव को धारी मंदिर से जोड़ता है.
ॐ जय माँ धारी.
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